जौ चरखा जरि जाय, बढ़ैया ना मरे,
मैं कातूं सूत हज़ार, चरखुला जिन जरे|
बाबा मोर बियाह कराव, अच्छा बरहि तकाय,
जौ लौ अच्छा बर न मिले, तौ लौ तुमहि बिहाय|
प्रथम नगर पहुँचते, परि गयो सोग संताप,
एक अचम्भा हम देखा, जो बिटिया ब्याहल बाप|
समधी के घर समधी आए, आए बहू के भाई,
गोड़े चूल्हा दई-दई, चरखा दियो दृढ़ाय|
देवलोक मरि जाएँगे, एक न मरे बढ़ाय,
यह मनरंजन कारने, चरखा दियो दृढ़ाय|
कहहि कबीर सुनो हो संतो, चरखा लखे ना कोय,
जो यह चरखा लखि परे, ताको आवागमन न होय |
(बीजक शबद -६८ )
शब्दशः अर्थ
यदि यह चरखा जल भी जाय तो भी बढ़ई नहीं मरनेवाला है | लेकिन अगर यह चरखा नहीं जले, तो मैं इसपर हज़ारों सूत कात सकती हूँ | बाबा, अच्छा दूल्हा ढूँढ़कर मेरा ब्याह करा दो| जबतक अच्छा दूल्हा नहीं मिलता तबतक तुम्हीं मुझे ब्याह कर रखो| जब मैंने पहली बार नगर में कदम रखा तो बहुत शोक और संताप हुआ | यह एक बड़े अचरज की बात देखी कि बेटी ने पिता से ब्याह किया है| समधी (बहू के पिता) अपने समधी (पति के पिता) के घर आये और बहू का भाई अपनी बहन के घर आया| चरखे को कसकर और भी मजबूत बना दिया है| सभी देव और देवलोक विनष्ट हो जायेंगे, लेकिन बढ़ई नहीं मर सकता जिसने अपने मनोरंजन के लिए यह चरखा बनाया है | कबीर कहता है - ये चरखा किसी को नहीं दिखता | जिसने चरखे के रहस्य को समझ लिया वह आवागमन के चक्कर से मुक्त हो गया |
जब हम ऊपर के सारे कथन देखते हैं तो उनमे कोई तारतम्य नहीं नजर आता, कोई सामान्य अर्थ नहीं दिखता| ऐसा लगता है कि हर एक वाक्य अपने आप में अलग और स्वतंत्र है और उनके अर्थ अलग-अलग भावनाओं को व्यक्त करते हैं, उनके बीच कोई सामंजस्य नहीं, कोई एक अर्थ नहीं है | ऐसा इसलिए है कि जब एक रहस्यवादी तत्वदर्शी की चेतना ऊपर और ऊपर चढ़ती है तब उसके अनुभव इतने गहन और अभौतिक होने लगते हैं कि सांसारिक शब्द उसको व्यक्त नहीं कर सकते | इसलिए वे उपमाओं और प्रतीकों सहारा लेकर हमें समझाने का प्रयास करते हैं |
इस पद में हमें हर कथन का अलग -अलग अर्थ समझकर फिर उनके पीछे का सूत्र समझना होगा |
छिपा हुआ अर्थ
यदि काल का यह चक्र (चरखा) नष्ट हो जाता है (जल जाता है) फिर भी इसका मूल, इसका बनानेवाला (परमात्मा, चेतना) नष्ट नहीं हो सकता| अगर यह चक नहीं नष्ट होता तो चेतना (मैं, आत्मा, परमात्मा) इससे हज़ारों कर्म कर सकती है|
ओ मेरे प्रिय गुरु, मेरी आत्मा को परमात्मा से जोड़ दीजिए और जबतक मैं परमात्मा का प्रत्यक्ष करके उससे मिलाप न कर लूँ, तबतक आप मुझे अपनी चरण शरण में ही रखिए |
जब पहली बार गुरु ने मुझे दीक्षित किया तब मैं बड़ी चिंता में पड़ गयी कि मैं कैसे आपकी आज्ञा के अनुसार चल पाऊँगी और उस मार्ग पर चलकर परमात्मा से मिलाप कर सकूँगी | लेकिन कैसा यह आश्चर्य हुआ कि गुरु से मिलकर मेरी आत्मा परमात्मा में दृढ हो गयी | पिता (गुरु का मूल), पिता (आत्मा का मूल) से मिल गए ( दोनों अलग प्रतीत होते थे लेकिन एक ही थे )| अब मुझे सम्पूर्ण ज्ञान हो गया (भाई आया)| अब इस समय ये कालचक्र इतना स्पष्ट और व्यवस्थित प्रतीत होता है | अब जब मैंने सारा कुछ इतना स्पष्ट देख लिया तो मैंने जान लिया है कि सबकुछ नष्ट हो सकता है लेकिन वो परमात्मा, जिसने इस चक्र को बनाया है वो नहीं नष्ट हो सकता |
कबीर कहता है कि इस चरखे के बारे में जानना कठिन है, लेकिन जिसने इस चरखे के पीछे का सत्य जान लिया, वो अब इस आवागमन के बंधन में नहीं फँस सकता। उस परमात्मा (बढ़ई ) को जान लेने के बाद जन्म-मृत्यु के बंधन में नहीं आना होता |
For English readers
Jau charkha jari jay, badhaiya na mare.
Main katun sut hajaar, charkhula jin jare.
Baba mor biyah karav, achcha barahi takaay.
Jau lon achchha bar na mile, tau lon tumahi bihay.
Pratham nagar pahunchte, parigo sog-santaap.
Ek achambha ham dekha, jo biTiya byahal baap.
Samadhee ke ghar samdhee aaye, aaye bahu ke bhay.
GoDe chulhaa, dai –dai, charkha diyo diDhay.
Devlok mar jaayenge, ek na mare baDhay.
Yah man ranjan kaarane, charkha diyo diDhaay.
Kahahi Kabir suno ho santo, charkha lakhe jo koy.
Jo yah charkha lakhi pare, tako aawagaman na hoy.
--- Beejak, Shabad – 68
Even if this spinning wheel gets burnt, the carpenter can never die. But if this spinning wheel doesn’t get burnt, I shall weave thousands of yarns. O dear father, please find a suitable groom for me and get me married with him. Please marry me while you are trying to find the groom. When I entered the city, I felt the great pain and sorrow. We saw this surprising event that daughter got married with father. Groom’s father came to bride’s father’s home and brother of the bride came to meet the sister. The spinning wheel got more strong by putting its parts tightly. All deities in heaven will die one day, but the carpenter can not die, who has made this spinning wheel to please his desire. Kabir says, whoever knows the secret of this wheel, becomes free form this world’ tie-ups.
When we see all statements at first glance, it doesn’t make any sense, because there is no continuity in narrations, meanings and emotions. One statement doesn’t end and second starts. This is due to the reason that once a mystic goes higher and higher, experiences become so much unearthly that worldly language is not enough to describe it. So symbols and metaphors are used to solve this problem. We have to understand each statement as a separate statement and then make continuity among them. If this Wheel of Kal gets destroyed, the origin and maker of it (GOD) can't be destroyed. If this wheel doesn't get burnt and destroyed, I can do thousands of karmas. O dear Guru, please connect my heart to HIM, and until I realize it and meet HIM, please keep me in your shelter. The first time I got initiated, I worried about how could I be able to obey you and go there. But what a surprise that after meeting you, my soul got connected to my creator ( father, supreme soul). The father of Guru met to father of soul ( they seemed to be different, but after realization, soul got the truth that it is one). Now I can say the truth because the real knowledge is mine. At that moment this wheel of kal or creation seemed to be much clear and organized. When I saw all things so clearly, I knew that though everything can be vanished, but the infinite, who has created this wheel can't be destroyed. Kabir says that who knows the truth behind this wheel, can't be trapped in this creation. After the GOD-Realization, you will not have to come in this mortality.
4 comments:
Expecting much more... kabir vaani jitna padhiye pyass utni badhti jaati hai...
Clearly, you are more knowledgeable than I am. So, I shall not try to show off my tiny knowledge of Kabir and Rumi. Your ability to explain, simply and clearly, and without showing off, is what enchants me. Thank you.
na main dharmi nahi adharmi na main jati na kami ho
na main kehta na main suntan na main sevak swami ho
na main bandha na main mukta na nirbandh sarvangi ho
na kahu se nyara hua na kahu ka sangi ho
na hum narak lok ko jate na hum sarag sidhare ho
sab hi karam hamara keeya hum karman ten yare ho
ya mat ko ki birla bujhe so satguru ho baithe ho
mat kabir kahu ko thape mat kahu ko mete ho
Thanks for sharing this pad :) This is also one pad of the highest stage....yes, only SANIT SATGURU has the access to that height..
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